सोलह वर्षीय आदिवासी बालिका दसुन्धिया ग्राम दूबा रैयत तहसील शहपुरा जिला डिंडोरी की निवासी है वर्षों पूर्व प्राथमिक शाला में अध्ययनरत थी तभी घर पर खाना बनने के दौरान दुर्घटना पर चूल्हे में बालिका का चेहरा बुरी तरह से जल गया था जिसमें एक आंख नाक और होंठ नीचे की ओर पिघलकर,खिसक कर गला छाती से चिपक चुका था बालिका का चेहरा भयानक स्थिति में था सिर को दाई ओर बाई ओर घुमा भी नहीं सकती थी। बालिका स्वयं को घुंघट से ढककर स्कूल जाती थी एवं उपेक्षित और परिहास का विषय महसूस करती थी तभी अध्यापक अश्वनी साहू भ्रमण के दौरान संपूर्ण जानकारी एकत्रित करके जिला डिंडोरी कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई कार्यक्रम अंतर्गत बालिका को लेकर गए किंतु कुछ तकनीकी कारणों से सफलता ना मिल सकी जिला चिकित्सालय शासकीय सेवाओं द्वारा लाभ दिलाने के लिए प्रयास किए जबलपुर ले जा कर प्लास्टिक सर्जरी हेतु एस्टीमेट तैयार कराया किंतु महंगे खर्चे के कारण कुछ व्यवस्था ना बन सकी और प्रयास असफल रहा कुछ वर्षों पश्चात तभी बरगांव जनजाति कल्याण केंद्र में 02 अक्टूबर 2016 को चिकित्सा शिविर की जानकारी प्राप्त हुई जिसमें बालिका का पंजीयन करा कर श्री राजकुमार जी मटाले भाईसाब से संपर्क किया गया एवं पूरी जानकारी दी गई उन्होंने पूरी गंभीरता से लेते हुए हर संभव मदद के लिए मार्गदर्शन पर कलेक्टर डिंडोरी श्री अमित तोमर जी एवं तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डिंडोरी श्री रोहित सिंह को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए शिविर स्थल पर ही राज्य बीमारी द्वारा 190000 (एक लाख नब्बे हजार) रुपए की स्वीकृति दी गई जिसमें मेट्रो हॉस्पिटल जबलपुर में बालिका की प्लास्टिक सर्जरी का कार्य आरंभ हुआ दो तीन चरण की प्लास्टिक सर्जरी के बाद वर्तमान में बालिका के चेहरे में पहले से काफी हद तक सुधार हुआ बालिका स्वाभिमान से पुनःस्कूल जाना प्रारंभ की और बालिका और उसके पालकों ने जनजाति कल्याण केंद्र शिविर की व्यवस्था को कार्यकर्ताओं को अधिकारी कर्मचारी को बहुत बहुत धन्यवाद दिया विदित होवे की बालिका के पिता श्री जगत लाल गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी परिवार के वनांचल ग्राम दूबा रैयत के निवासी हैं उन्होंने कहा कि जनजाति कल्याण केंद्र बरगांव के शिविर के बिना यह संभव नहीं था हम जीवन भर आभारी रहेंगे।
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